Tuesday, May 15, 2012

आज कोई उनका लिखा नगमा सुना दे


आज कोई उनका लिखा
नगमा सुना दे
उनके करीब होने का
अहसास करा दे
ना करे
फ़िक्र सुर और साज़ की
ना ही लय और ताल की
बस वो
सुरीला नगमा सुना दे
उनकी कलम से निकले
अल्फाजों से
दिल को सुकून दे दे
एक एक लफ्ज़
दिल में बवंडर मचाएगा
बीते वक़्त के
समंदर में ले जाएगा
दिल मोहब्बत में
फिर से डूब जाएगा
अब वो नहीं इस जहाँ में
भूल जाएगा
जिस्म का एक एक रोम
मदहोश हो जाएगा
बहक कर नाचने लगेगा
खुद भी गाने लगेगा
वो नगमा जो उन्होंने
लिखा था
आज कोई उनका लिखा
नगमा सुना दे
14-05-2012
522-42-05-12

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