Friday, May 11, 2012

बेचैनियाँ इतनी मिली ज़िन्दगी में

बेचैनियाँ
इतनी मिली ज़िन्दगी में
सुकून
कभी मिल भी जाए
ज़िन्दगी के सफ़र में
पहचान नहीं पाऊंगा
अजनबी समझ
बगल से निकल जाऊंगा
इतना सताया मुझे
ज़िन्दगी में सुकून ने
पहचान भी लूं
तो दोस्ती नहीं करूंगा
बेचैनियों से बेवफ़ाई भी
नहीं करूंगा
जिन्होंने ज़िन्दगी भर
साथ निभाया
11-05-2012
511-26-05-12

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