मैं इतना जाहिल तो नहीं
ख़ूबसूरती को नहीं
पहचानूँ
तुम्हें देख कर आहें
ना भरूँ
इतना तंगदिल भी नहीं
तुम मुस्कराओं
मैं तारीफ़ ना करूँ
इतना खुदगर्ज़ भी नहीं
तुम जवाब ना दो
मैं बुरा मान लूँ
अब तुम्ही बताओ
गर दिल लगाया तुमसे
तो क्या गुनाह किया
या तो तुम खुद को
खूबसूरत नहीं मानती
या फिर तुम्हारी
मुस्काराहट
इस लायक नहीं
कोई उसकी तारीफ़ करें
06-05-2012
502-17-05-12
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