अगर मैं
तुम्हें समझना चाहूँ
तो मुझे भी
तुम्हारे जैसे सोचना होगा
तुम मुझे समझना चाहो तो
तुम्हें भी
मेरे जैसे ही सोचना होगा
पर यह आसान नहीं होगा
हमें
अहम् को छोड़ना होगा
एक दूसरे की स्थिति,
परिस्थिति का ध्यान
रखना होगा
स्वयं को दूसरे के स्थान पर
रख कर सोचना होगा
तभी हम एक दूसरे को
समझ पायेंगे
नहीं तो स्वयं को सही
दूसरे को गलत कहते रहेंगे
तुम्हें समझना चाहूँ
तो मुझे भी
तुम्हारे जैसे सोचना होगा
तुम मुझे समझना चाहो तो
तुम्हें भी
मेरे जैसे ही सोचना होगा
पर यह आसान नहीं होगा
हमें
अहम् को छोड़ना होगा
एक दूसरे की स्थिति,
परिस्थिति का ध्यान
रखना होगा
स्वयं को दूसरे के स्थान पर
रख कर सोचना होगा
तभी हम एक दूसरे को
समझ पायेंगे
नहीं तो स्वयं को सही
दूसरे को गलत कहते रहेंगे
35-35-18-01-2013
सम्बन्ध,रिश्ते,समझना ,अहम्
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
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