दिन ढल गया
रात भी धोखा दे गयी
उससे सपनों में
मिलने की इच्छा भी
पूरी ना हुयी
ह्रदय को ऐसे दर्द की
आदत नहीं है
जीना है अगर
हर अनहोनी के लिए
तैयारी करनी पड़ेगी
हार सहने की आदत भी
डालनी होगी
दर्द सहते सहते भी
आँखों की
नमी सुखानी होगी
बेमन से ही सही
चेहरे पर हँसी भी
रखनी होगी
56-56-30-01-2013
जीवन,आदत,सहना,
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
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