बकरा खुशियों से
लबालब भरा था
उसे मिल रहा था
नित नया भोजन
ढेर सारा प्यार दुलार
कभी सोचा भी ना था
इंसान से मिलेगा
ऐसा सुन्दर व्यवहार
उसे आभास तक ना था
कल बकरा ईद पर
उसे कुर्बान होना है
जिबह होने से पहले
मोटा ताज़ा बनना है
ज़िंदा है जब तक
इतना लाड प्यार
मिल रहा है
सब के सर पर
उसका ही भूत
सवार है
लबालब भरा था
उसे मिल रहा था
नित नया भोजन
ढेर सारा प्यार दुलार
कभी सोचा भी ना था
इंसान से मिलेगा
ऐसा सुन्दर व्यवहार
उसे आभास तक ना था
कल बकरा ईद पर
उसे कुर्बान होना है
जिबह होने से पहले
मोटा ताज़ा बनना है
ज़िंदा है जब तक
इतना लाड प्यार
मिल रहा है
सब के सर पर
उसका ही भूत
सवार है
55-55-30-01-2013
व्यवहार,इंसान ,
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
No comments:
Post a Comment