Saturday, March 30, 2013

कभी सोचा भी ना था



बकरा खुशियों से
लबालब भरा था
उसे मिल रहा था
नित नया भोजन
ढेर सारा प्यार दुलार
कभी सोचा भी ना था
इंसान से मिलेगा
ऐसा सुन्दर व्यवहार
उसे आभास तक ना था
कल बकरा ईद पर
उसे कुर्बान होना है
जिबह होने से पहले
मोटा ताज़ा बनना है
ज़िंदा है जब तक
इतना लाड प्यार
मिल रहा है
सब के सर पर
उसका ही भूत

 सवार है
55-55-30-01-2013
व्यवहार,इंसान ,
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर

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