ये ख्वाब भी
बड़े जिद्दी होते हैं
बिन बुलाये ही आ जाते
अरमानों को
आसमान पर चढ़ा देते
पूरा होने के इंतज़ार में
उम्र पूरी हो जाती
मगर ये कभी पूरे नहीं होते
जिद पर अड़े रहते हैं
ख्व्वाब ही रह जाते हैं
30-30-16-01-2013
ख्व्वाब, जिद, जिद्दी
डा.राजेंद्र
तेला,निरंतर
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