Monday, March 25, 2013

ये साज़िश भी कैसी बला है


ये साज़िश भी कैसी बला है 
कभी मन ह्रदय से करता
कभी ह्रदय मन से करता
कभी दोस्त
दोस्त को नहीं छोड़ता
कभी अपना पराये से
कभी पराया अपने से
कभी संतान माँ बाप से
माँ बाप संतान से
पत्नी पति से,पति पत्नी से
बात मनवाने के लिए
साज़िश करता
कभी मौसम भी साज़िश
करने से बाज़ नहीं आता
गर्मी में सर्दी तो सर्दी में गर्मी
का अहसास देता
काला बादल बिन बरसे
गुम हो जाता
जिसने भी बनायी साज़िश
उससे प्रार्थना करता हूँ
जितना भी बचा सके
बचा ले मुझको साजिशों से
46-46-25-01-2013
साज़िश
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर

No comments: