सुबह जब आँख खुली तो
सुबह बदली बदली सी लगी
ना सूरज की रश्मियाँ दिखाई दी
ना कोयल की कूंक
चिड़ियों की चचहाट सुनायी दी
ना पत्तों पर ओस की बूँदें
ना कलियों में
पुष्प बन खिलने की
आतुरता थी
सोचता समझता कारण
जानने का प्रयत्न करता
उसे पहले ही पता चल गया
आज भी अखबार के
पहले पन्ने पर
एक नाबालिग से बलात्कार
फिर ह्त्या की खबर छपी थी
18-18-08-01-2013
नारी,उत्पीडन,स्त्री ,अत्याचार,हत्या,बलात्कार
नारी,उत्पीडन,स्त्री ,अत्याचार,हत्या,बलात्कार
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
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