चैन की राह तकते
मन में
चैन की चाह
जन्म कैसे लेती है
किसको चैन में देखा
जो चैन की आशा
मन में जगती है
कहीं पढ़ा सुना
अवश्य हो सकता
कितना भी दौड़ो भागो
मन संतुष्ट नहीं तो
चैन भी
कभी नहीं मिलता
चैन की मरीचिका
परछाइयों को बाहों में
समेटने से
अधिक नहीं होता
जीवन भर परछाई सा
साथ चलता रहता
मिलता किसी को नहीं
चैन की खोज में
मन अवश्य निरंतर
भटकता रहता
जन्म कैसे लेती है
किसको चैन में देखा
जो चैन की आशा
मन में जगती है
कहीं पढ़ा सुना
अवश्य हो सकता
कितना भी दौड़ो भागो
मन संतुष्ट नहीं तो
चैन भी
कभी नहीं मिलता
चैन की मरीचिका
परछाइयों को बाहों में
समेटने से
अधिक नहीं होता
जीवन भर परछाई सा
साथ चलता रहता
मिलता किसी को नहीं
चैन की खोज में
मन अवश्य निरंतर
भटकता रहता
19-19-08-01-2013
चैन, मरीचिका, मन ,संतुष्ट
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
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