रोज़ चमकते
चमकते
सूरज बेचारा
थक गया
थक हार कर अपनी
व्यथा
चाँद को बताने
लगा
तुम कितने खुश
किस्मत हो
पूनम को पूरे
खिलते हो
बाकी समय
कम में काम
चलाते हो
ना थकते हो
ना व्यथित होते
हो
चाँद ने उत्तर
दिया
मित्र क्यों
ऐसा सोचते हो
हर इच्छा
किसकी पूरी
होती है
मैं भी चाहता
हूँ
सातों दिन पूर्णिमा
हो
जैसे तुम हर
दिन
चमकते हो
वैसे ही मैं
भी हर दिन
चमकूँ
नित्य धरती
को
चांदनी से भर
दूं
08-08-03-01-2013
चाँद,सूरज,इच्छाएं,आशाएं
,कामना,आशा,
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
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