जब मन दुखी
कलम थकी हो
कैसे उम्मीदों की बात
लिखेगी
जब दिल में
दर्द की टीस उठ रही हो
कैसे किसी को खुश करेगी
खुद के ग़मों का बोझ
दूसरों के कन्धों पर
लाद देगी
उन्हें भी उनके ग़मों की
याद दिला देगी
14-14-07-01-2013
गम,दर्द ,दुःख
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
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