विचारों से
द्वंद्व करते करते
नींद की गोद में समाया ही था
खिड़की पर आहट ने
द्वंद्व करते करते
नींद की गोद में समाया ही था
खिड़की पर आहट ने
आधी नींद से
जगा दिया
खिड़की खोलते ही हवा का
झोंका कमरे में आया
हवा से नींद भंग करने का
खिड़की खोलते ही हवा का
झोंका कमरे में आया
हवा से नींद भंग करने का
कारण पूछा
हवा मुस्काराते हुए बोली
बर्फीले पहाड़ों से होते हुए
गर्म रेगिस्तान में झुलसते हुए
नदी के बहते पानी को छूते हुए
वृक्षों के हरे भरे पत्तों के
बीच से छनते हुए
महकते फूलों को चूमते हुए
तुम्हें बंद दरवाजों के
अँधेरे कमरे से
छुटकारा दिलाने आयी हूँ
आओ उठ खड़े हो जाओ
मेरे साथ चलो
प्रकृति का आनंद लो
व्यथा को कम करो
मेरे जैसे ही निरंतर बहते रहो
हवा मुस्काराते हुए बोली
बर्फीले पहाड़ों से होते हुए
गर्म रेगिस्तान में झुलसते हुए
नदी के बहते पानी को छूते हुए
वृक्षों के हरे भरे पत्तों के
बीच से छनते हुए
महकते फूलों को चूमते हुए
तुम्हें बंद दरवाजों के
अँधेरे कमरे से
छुटकारा दिलाने आयी हूँ
आओ उठ खड़े हो जाओ
मेरे साथ चलो
प्रकृति का आनंद लो
व्यथा को कम करो
मेरे जैसे ही निरंतर बहते रहो
28-28-15-01-2013
हवा,पवन,वायु ,बयार ,पर्यावरण,जीवन , व्यथा,प्रकृति
डा.राजेंद्र
तेला,निरंतर
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