जब ज़िन्दगी भर
नहीं समझ सके मुझ को
अब समझ भी लेंगे
तो क्या फर्क पडेगा
ज़िन्दगी भर
रोने सहने के बाद
ना मन खुश होगा
ना चेहरे पर हँसी आयेगी
उनकी नाराजगी का डर
इस हद तक बैठ चुका है
मन में
मुझे खुश देख कर
कहीं नाराजगी नहीं
बढ़ जाए उनकी
नहीं समझ सके मुझ को
अब समझ भी लेंगे
तो क्या फर्क पडेगा
ज़िन्दगी भर
रोने सहने के बाद
ना मन खुश होगा
ना चेहरे पर हँसी आयेगी
उनकी नाराजगी का डर
इस हद तक बैठ चुका है
मन में
मुझे खुश देख कर
कहीं नाराजगी नहीं
बढ़ जाए उनकी
48-48-26-01-2013
ज़िन्दगी,नाराजगी,समझ ,ना समझ,खुशी
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
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