Friday, May 4, 2012

तुम्हें याद करना.....ना तो मेरी आदत ना ही मजबूरी


तुम्हें याद करना
ना तो मेरी आदत
ना ही मजबूरी
वो जीने के लिए
आवश्यकता मेरी
ह्रदय को
धड़कने के लिए रक्त
साँस के लिए हवा
मन को
जीवित रखने के लिए
तुम्हें याद करना
सपनों में देखना
मेरे लिए आवश्यक है
ह्रदय धडक भी ले
साँस भी आ रही हो
अगर मन निर्जीव हो
तो मैं जीवित कैसे हो
सकता हूँ
फिर खुद को जीवित
रखने के लिए
अगर तुम्हें याद 
करता हूँ
सपने में देखता हूँ
तो क्या अनुचित 
करता हूँ
तुम्हें तो प्रसन्न होना
चाहिए
मेरे साथ होते हुए
बिना भी
मेरे जीवन की कारक हो
बिना तुम्हारी यादों के
मेरा अस्तित्व ही
नहीं है
04-05-2012
495-10-05-12

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