जब सूरज पहाड़ों
के
पीछे से झाँकने
लगता है
लगता जैसे
उसका चमकता
चेहरा
नज़र आ रहा है
वो भी इतनी
दूर मुझसे
जितना आसमान
में
सूरज मुझसे
मुझे अपनी ख़ूबसूरती
की
रोशनी से
सरोबार तो करती
पर कभी
अपनी ख़ूबसूरती
को
करीब से नहीं
देखने देती
748-44-23-09-2012
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