मिला था
अनजान बन कर
छा गया था दिल
पर
बहार बन कर
चेहरे पर चेहरा
चढ़ा कर आया
था
छुपा कर
खिजा साथ लाया
था
दोस्त के भेष
में
दुश्मन निकला
मोहब्बत का
सिला
ऐसा दिया
ना जीने दिया
ना
मरने दिया
कातिल बन कर
साथ निभाता
रहा
02-09-2012
712-09-09-12
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