Sunday, September 23, 2012

जब भी……..



जब भी
बार बार असफलता
हाथ लगती है
निराशा मन में घर
बनाने लगती
मन खिन्नता से भर जाता
समय ठहर जाता
चेहरे पर
अवसाद झलकने लगता
दिन ढलता नहीं
नींद बुलाने से भी आती नहीं
पथ कठिन
लक्ष्य दूर लगने लगता
आकान्शाएं मरने लगती
इरादे धूमिल होने लगते
कदम डगमगाने लगते
कुछ भी अच्छा नहीं लगता
ऐसे में
स्वयं पर विश्वास
इश्वर में आस्था
धीरज और संयम रखना ही
एकमात्र सहारा होता
752-48-23-09-2012
असफलता,खिन्नता,अवसाद,आकान्शाएं
लक्ष्य,इरादे ,आस्था,इश्वर ,विश्वास,संयम ,धीरज

No comments: