गम अब इस कदर
आदत बन गया
एक दिन भी गुजर जाए
बिना उसके
मन नहीं लगता
शौक़ तो नहीं
ज़बरदस्ती पालूँ गम को
पर शायद
किस्मत में यही लिखा है
खुदा की रजा समझ
हँसते हँसते
गले लगाता हूँ
नहीं मिलता जिस दिन
किसी तरीके से ढूंढ
लेता हूँ
इतना ज़ज्ब हो चुका
दिल में
बिना गम के अब रहा
नहीं जाता
753-49-23-09-2012
गम,आदत,दुःख,ज़ज्ब ,ज़िन्दगी
No comments:
Post a Comment