Monday, September 3, 2012

काश मन की बात आँखें जान लेती



दिल क्या कहता है
मन को पता चल जाता
मन क्या सोचता है
आँखों को खबर नहीं होती
वो वही देखती रहतीं  
जो उसे दिखाई देता
जो नहीं चाहती वो भी
देखना पड़ता
काश मन की बात
आँखें जान लेती
सुकून की
इन्तहा हो जाती
किसी और चीज़ की
ज़रुरत ना होती
03-09-2012
720-16-09-12

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