गली के
आखिरी छोर में
बने
लम्बे घने वृक्षों
से घिरे
मेरे मकान में
पत्तों से छन
कर
धूप भी टुकड़ों
में आती
पर मुझे वही
काफी लगती
ठीक मेरी ज़िन्दगी
की
खुशियों की
तरह
छोटी छोटी बातें
ही
मुझे खुश कर
देती
लोग कहते हैं
मैंने ज़िन्दगी
में बड़ी
खुशी देखी ही
नहीं
पर इस बात का
मुझे
कोई रंज नहीं
सोचता हूँ
खुशी तो खुशी
होती
छोटी या बड़ी
से क्या
फर्क पड़ता है
सोच उसे बड़ा
छोटा
बनाता है
इंसान संतुष्ट
नहीं हो तो
बड़ी खुशी भी
उसे
छोटी लगती
756-01-03-10-2012
खुशी,संतुष्ट,संतुष्टी,सोच, ज़िन्दगी
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