क्या खता इतनी
बड़ी थी
क़त्ल किया नहीं
सजा क़त्ल की
दे दी
हमें इल्म नहीं
था
शक क़त्ल से
भी
बड़ा गुनाह होता
हमने तो छोटी
बहन
समझ कर कहा
था
हम तुम्हें
चाहते हैं
तुमने इज़हार-ऐ-इश्क
समझ लिया
बिना सोचे समझे
गुनाहगार करार
दे दिया
रिश्तों से
ऐतबार ही
उठा दिया
783-26-24-10-2012
गुनाहगार,रिश्तों,
गुनाह
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