आकाश के आंगन
में
तारे जगमगाते
चाँद ठंडक
सूर्य गर्मी
बिखेरता
पक्षी स्वछन्द
उड़ते
रेशम से कोमल
बादल
अठखेलियाँ करते
कोई किसी किसी
से
कुछ नहीं कहता
ना ही किसी
के लिए
रुकावट बनता
जिसे जो भी
जब भी करना
है
अपनी इच्छा
से करता
काश धरती का
आँगन भी
आकाश सा होता
770-15-10-10-2012
धरती,आकाश,चाँद
,सूरज
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