समझ नहीं पाया
जब देखा मैंने
हर शख्श
चेहरे पर चेहरा
लगाए
क्यूं घूम रहा
है
मोहब्बत की
जगह
ज़ख्म क्यूं
दे रहा है
जब खुदा से
इबादत करी
बड़ी मिन्नतों
के बाद
उसने राज़ बताया
ज़न्नत में
बहुत बड़ा
घोटाला हो गया
है
जिन्हें तुम
ज़मीन पर ढूंढ
रहे हो
वो घबराकर
ज़न्नत में
बस गए हैं
जिन्हें होना
चाहिए था
दोजख में
वो ज़मीन पर
पहुँच
गए हैं
768-13-09-10-2012
घोटाला, ज़न्नत,
दोजख
No comments:
Post a Comment