जीवन का क्या
भरोसा
कब तक
साथ देगा पता
नहीं
जाने से पहले
जिनका भी ह्रदय
दुखाया
उनसे क्षमा
मांग लूं
जिन से भी धोखा
किया
उनसे अपराध
का
दंड मांग लूं
कभी मज़ाक उड़ाया
हो
उनसे प्रताड़ित
हो लूं
जीवन भर
अपराध बोध में
जिया
उस बोझ से स्वयं
को
मुक्त कर लूं
इश्वर ने संसार
में भेजा था
निश्छल ह्रदय
के साथ
वो निश्छल ह्रदय
इश्वर को वापस
कर दूं
रोते हुए आया था
हँसते हुए लौट
जाऊं
803-45-29-10-2012
ज़िन्दगी,जीवन ,निश्छल ह्रदय
1 comment:
कल 29/11/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
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