सुबह आँख खुली
तो
मेरे कमरे की
खिड़की में बैठा मिट्ठू बोला
बोल बोल कर तुम्हें
उठाने का प्रयत्न किया
पर तुम नींद से जागे नहीं
थक हार कर मैं बैठ गया
अपने आप से कहने लगा
उठोगे तो
मेरे कमरे की
खिड़की में बैठा मिट्ठू बोला
बोल बोल कर तुम्हें
उठाने का प्रयत्न किया
पर तुम नींद से जागे नहीं
थक हार कर मैं बैठ गया
अपने आप से कहने लगा
उठोगे तो
प्रश्न अवश्य
करूंगा
कैसे इतनी गहरी नींद में
सोते हो तुम
मिट्ठू की बात का
मुझे अचम्भा नहीं हुआ
निरंतर इस प्रश्न का
उत्तर देता रहा
आज उसे भी बता दूं
सत्य गहरी नींद का
मैंने कहा लोग दिन रात
सपने देखते हैं
जो कल हो चुका
जो कल होने वाला है
उसकी चिंता में
दिन रात जागते हैं
ना ठीक से सो पाते
ना ठीक से जाग पाते
परेशानी में
ज़िन्दगी काटते रहते
मैं निश्चिंत सोता हूँ
जो हो चुका उससे केवल
शिक्षा लेता हूँ
जो होने वाला है
उसकी चिंता करे बिना
कर्म में लगा रहता हूँ
इसलिए गहरी नींद में
सो पाता हूँ
बात सुन कर मिट्ठू बोला
मैं भी अब आकाश को
नापने निकलता हूँ
कल फिर आऊँगा
पर तुम्हारे उठने के बाद
तब तक मैं भी
गहरी नींद में सोऊँगा
कैसे इतनी गहरी नींद में
सोते हो तुम
मिट्ठू की बात का
मुझे अचम्भा नहीं हुआ
निरंतर इस प्रश्न का
उत्तर देता रहा
आज उसे भी बता दूं
सत्य गहरी नींद का
मैंने कहा लोग दिन रात
सपने देखते हैं
जो कल हो चुका
जो कल होने वाला है
उसकी चिंता में
दिन रात जागते हैं
ना ठीक से सो पाते
ना ठीक से जाग पाते
परेशानी में
ज़िन्दगी काटते रहते
मैं निश्चिंत सोता हूँ
जो हो चुका उससे केवल
शिक्षा लेता हूँ
जो होने वाला है
उसकी चिंता करे बिना
कर्म में लगा रहता हूँ
इसलिए गहरी नींद में
सो पाता हूँ
बात सुन कर मिट्ठू बोला
मैं भी अब आकाश को
नापने निकलता हूँ
कल फिर आऊँगा
पर तुम्हारे उठने के बाद
तब तक मैं भी
गहरी नींद में सोऊँगा
799-41-25-10-2012
नींद,निश्चिंत
1 comment:
really nice and inspirational poem....
Post a Comment