मंजिल की तलाश
में
ज़िन्दगी भर
उनके पैगाम
का इंतज़ार
करता रहा
जब तक पैगाम
आया
मंजिल का
पता बदल चुका
था
तन्हाई को
मंजिल मान चुका
था
समझ चुका था
इक दिन तो
किसी एक को
तनहा
रहना होगा
अकेले में रोना
होगा
789-31-24-10-2012
मंजिल,तलाश,ज़िन्दगी
,मोहब्बत,तन्हाई,
No comments:
Post a Comment