बार बार कटघरे
में
खडा किया गया
हर बार सज़ा
के
काबिल पाया
गया
हर बार सबने
कहा
क्यों अपनों
को
प्यार किया
क्यों लडखडातों
को
खडा करने की
कोशिश
करता रहा
अगर ये खता
है
तो समझ नहीं
आता
अपनों के चाहने
की खता
कितनी सज़ा दिलाएंगी
अपनों की नासमझी
पता नहीं कहाँ
ले जायेगी
इससे तो अच्छा
है
खुद ही अलविदा
कह दूं
उन्हें सुकून
से रहने दूं
बची खुची ज़िन्दगी
मैं भी सुकून
से काट लूं
784-27-24-10-2012
सुकून,ज़िन्दगी,खता,रिश्ते,अपने
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