ये हवा भी ना
जाने
कितने चेहरे
बदलती है
कभी आंधी बन
कर
कभी तूफ़ान बन
कर
तांडव मचाती
है
कभी मंद शीतल
मधुर स्वर लहरी
सी
कानों में बंसी
बजाती है
मन को प्रफुल्लित
करती है
कभी गोरियों
के आँचल से
कभी बालों से
अठखेलियाँ करती
है
आशिक मिजाजी
का
सबूत देती है
कभी सांय सांय
की
ध्वनी से
मरघट की याद
दिलाती है
पता नहीं कहाँ
से आती है
कहाँ जाती है
ये हवा भी ना
जाने
कितने चेहरे
बदलती है
776-21-23-10-2012
हवा, चेहरे,
अठखेलियाँ
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