आज कल लोगों
को
दिल ही नहीं
दिखता
मन को कैसे
देखेंगे
चिकनी चुपड़ी
बातों से
मुस्काराते
चेहरों से ही
खुश हो जाते
हैं जब
उन्हें सच्चाई
कैसे पसंद आयेगी
कसूरवार वो
भी नहीं
ज़माने की
हवा ही कुछ
ऐसी है
हर शख्श
उसी फितरत से
सांस
ले रहा है
ज़िन्दगी जीने
के बजाए
काट रहा है
809-51-28-10-2012
ज़िन्दगी,फितरत,,जीवन,सोच
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