Thursday, July 5, 2012

खामोश रहो



खामोश रहो
कुछ मत बोलो
अपने गम अपने तक
रख लो
ना विरोध करो ना
प्रतिरोध करो
कोई कुछ कहे
चुपचाप सुन लो
ना व्यथित हो
ना आंसू बहाओ
पहले भी
तुमने विरोध किया
क्या नतीजा निकला ?
क्या सिला मिला ? 
बचा खुचा विश्वास खोया
खुद को चौराहे पर
खडा पाया
किधर जाना है?
पता नहीं था
क्यों भूल गए?
बहुत मुश्किल से खुद को
सम्हाला था
क्या बार बार ऐसा ही
चाहते हो
कब तक लड़ोगे
लोगों को बदलने की
कोशिश करोगे
बार बार हारोगे
खुद के अस्तित्व को
खतरे में डालोगे
क्यों ना समर्पण कर दो?
सबकी इच्छा का पालन
कर लो
 नाराजगी दूर कर दो
प्रभु में विश्वास रखते हो
तो उस पर छोड़ दो
वो जैसा चाहता है
वैसा ही होगा
लड़ोगे तो भी
नहीं लड़ोगे तो भी
तुम कर्म करते रहो
ईमान से जीते रहो
सब्र से सहते रहो
अब समय आ गया है
भाग्य पर छोड़ दो
जो भाग्य में लिखा है
हो जाएगा
नहीं चाहोगे तो भी
चाहोगे तो भी
05-07-2012
604-01-07-12

No comments: