Tuesday, July 31, 2012

हर सुबह से आज की सुबह कुछ ख़ास थी



हर सुबह से आज की
सुबह कुछ ख़ास थी
हर सुबह से अलग जो थी
साजों ने सुरों से सन्धी करी
संगीत की धारा बह निकली
चहचहाती चिड़ियों ने
चुप्पी साध ली
बहती पुरवाई थम गयी
पेड़ों के पत्ते
मदमस्त हो कर झूमने लगे
फिजा महक से सरोबार हो गयी
आज संगीत के साथ
प्रियतम की मधुर आवाज़ में
एक सुरीले गीत की गूँज थी
आज की सुबह खास थी
हर सुबह से अलग थी
उनकी वाणी की मिश्री
जो घुली थी
31-07-2012
637-34-07-12

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