उनकी हर बात से
डरता हूँ
कब तक रहेंगे खुश
समझ नहीं पाता हूँ
कब हो जायेंगे नाराज़
जान नहीं पाता हूँ
खुद से लड़ता रहता हूँ
निरंतर दुआ करता हूँ
कुछ कहना सुनना भी
छोड़ दिया
गलत ना समझ जाएँ
इस बात से डरता हूँ
अब खामोश रहता हूँ
अकेले में रोता हूँ
चुपचाप सहता हूँ
29-07-2012
628-25-07-12
No comments:
Post a Comment