ईमान की बातें
कहने सुनने
में अच्छी
लगती
अफ़सोस कि
हमेशा सच नहीं
होती
पानी में चाँद
की
परछाई सी होती
बेईमानी के अक्स से
ज्यादा नहीं
होती
दिखती तो है
मगर हाथ लगाते
ही
काई सी फिसल
जाती
वक़्त के गहरे पानी में
गुम हो जाती
कितना भी रखे
ईमान कोई
कभी कभी तो
नियत डोल ही
जाती
29-07-2012
626-23-07-12
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