Sunday, July 29, 2012

ईमान की बातें



ईमान की बातें
कहने सुनने में अच्छी
लगती
अफ़सोस कि
हमेशा सच नहीं होती
पानी में चाँद की
परछाई सी होती
बेईमानी के  अक्स से
ज्यादा नहीं होती
दिखती तो है
मगर हाथ लगाते ही
काई सी फिसल जाती
वक़्त  के गहरे पानी में
गुम हो जाती
कितना भी रखे ईमान कोई
कभी कभी तो
नियत डोल ही जाती
29-07-2012
626-23-07-12

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