दर्द-ऐ-दिल
किसी से कह
ना सका
मन ही मन घुटता
रहा
दिल बेचारा
भी
थक गया
एक दिन कहने
लगा
कब तक अकेले
ज़िन्दगी गुजारोगे
अब दर्द से
किनारा
कर लो
किसी और से
मुझे
मिला दो
मन को सुकून
मुझ को राहत
दे दो
29-07-2012
631-28-07-12
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