ठहरे पानी में
तुमने
एक पत्थर फैंक
दिया
शांत तालाब
में
ज़लज़ला मच
गया
तुम्हारा चेहरा
मुस्काराहट
से भर गया
मछलियों में
डर का संचार
कर दिया
तुमने इतना
भी नहीं सोचा
उनको डराने
का अधिकार
तुम्हें किसने
दिया
कभी सोचा तुमने
क्यों ऐसा व्यवहार किया
केवल इसलिए
कि
वो निर्बल है
तुमसे
अपने आमोद का
साधन बना लिया
अपने बल के
घमंड में
निरीह मछलियों
को
हैरान किया
31-07-2012
636-33-07-12
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