Tuesday, July 17, 2012

बौने हैं हम


बौने हैं हम
भाग्य के मारे हैं हम
पूरे हो कर भी
अधूरे हैं हम
बचपन से बुढापे तक
कोई नहीं समझता
भावनाओं को हमारी
ज़िन्दगी से लेकर
सर्कस तक हँसी के
पात्र हैं हम
तिरिस्कार सहते हैं हम
मन ही मन घुटते हैं हम
बच्चों से बूढों तक
सब को हँसाते हैं हम
जीना है इसलिए
दिखते नहीं
आंसू किसी को हमारे
खून के आंसू पीते हैं हम
चुपचाप सहते हैं हम
निरंतर
इश्वर से प्रार्थना हमारी
किसी को ना दे ऐसा
नसीब
खुद रोते हैं दूसरों को
हँसाने के लिए हम
बौने हैं हम
17-07-2012
606-03-07-12

No comments: