अपने आप को सम्हालूँ
या यादों में डूबा रहूँ
बची खुची ज़िन्दगी भी
खराब कर लूं
नहीं निभाया अगर
वादा किसी ने
तो क्या ज़िन्दगी भर
रोता रहूँ
निराश हो चुका हूँ
लोगों को बताता रहूँ
हमेशा हार कर भी
जीतता रहा
अब क्यों अपने को
कमज़ोर साबित करूँ
819-03-03-11-2012
ज़िन्दगी,जीवन,निराश,कमज़ोर,याद,यादें
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