या खुदा
क्यूं इतना ज़ुल्म ढाते हो
तन्हाइयों में भी
तनहा नहीं रहने देते हो
टूटे हुए दिल को तोड़ते हो
ख्यालों में
ज़लज़ला मचाते हो
यादों को
ज़हन से ना जाने देते हो
गर इतना यकीन
तुम्हें अपने वजूद पर
तो मिला दो उससे
नहीं तो यादों से उसका
नाम-ओ-निशाँ ही मिटा दो
मुझे तन्हाई में तो
सुकून पाने दो
क्यूं इतना ज़ुल्म ढाते हो
तन्हाइयों में भी
तनहा नहीं रहने देते हो
टूटे हुए दिल को तोड़ते हो
ख्यालों में
ज़लज़ला मचाते हो
यादों को
ज़हन से ना जाने देते हो
गर इतना यकीन
तुम्हें अपने वजूद पर
तो मिला दो उससे
नहीं तो यादों से उसका
नाम-ओ-निशाँ ही मिटा दो
मुझे तन्हाई में तो
सुकून पाने दो
837-21-11-11-2012
यादें,तनहा,तन्हाइयां,
सुकून
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