जीवन भर
सब को बताता रहा
क्या उचित
क्या अनुचित है
उम्र के
सांय काल में आ कर
मंथन किया
सब को बताता रहा
क्या उचित
क्या अनुचित है
उम्र के
सांय काल में आ कर
मंथन किया
तो पता चला जो भी
जैसा भी सोचा था
अब तक
ना सब उचित था
ना अनुचित था
समय ने सिखाया मुझको
अनुभवानुसार
सोच और मान्यताएं
बदलती रहती
अब निर्णय कर लिया
मैं जो सोचता हूँ
वही उचित,अनुचित है
मानना छोड़ दूंगा
उचित अनुचित का
निर्णय करने से पहले
दूसरों के विचारों को भी
महत्त्व दूंगा
विषय पर विवेक से
गूढ़ मंथन करूंगा
उसके बाद ही अपना
निश्चित मत प्रकट
करूंगा
जैसा भी सोचा था
अब तक
ना सब उचित था
ना अनुचित था
समय ने सिखाया मुझको
अनुभवानुसार
सोच और मान्यताएं
बदलती रहती
अब निर्णय कर लिया
मैं जो सोचता हूँ
वही उचित,अनुचित है
मानना छोड़ दूंगा
उचित अनुचित का
निर्णय करने से पहले
दूसरों के विचारों को भी
महत्त्व दूंगा
विषय पर विवेक से
गूढ़ मंथन करूंगा
उसके बाद ही अपना
निश्चित मत प्रकट
करूंगा
863-47-23-11-2012
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