मेरे जाने के बाद भी
मेरे चाहने
ना चाहने वालों से
मिलूंगा ज़रूर
चाहे ख़्वाबों में मिलूँ
या ख्यालों में आऊँ
जो भी कहता हूँ
जो भी लिखता हूँ
याद दिलाऊंगा ज़रूर
भले ही बुझ जाए
मेरी ज़िन्दगी के
चिराग की रोशनी
पर मेरे ख्यालों की
रोशनी ज़हन में
ज़लाऊंगा ज़रूर
मेरे ख्याल ही कहते हैं
मुझसे
आज मेरी बात मानों
ना मानों
चाहे आज पढो ना पढो
पर बात कहूंगा ज़रूर
चाहे मेरे जाने के बाद
ही सही
एक दिन सोचने पर
मजबूर करूंगा ज़रूर
मेरे चाहने
ना चाहने वालों से
मिलूंगा ज़रूर
चाहे ख़्वाबों में मिलूँ
या ख्यालों में आऊँ
जो भी कहता हूँ
जो भी लिखता हूँ
याद दिलाऊंगा ज़रूर
भले ही बुझ जाए
मेरी ज़िन्दगी के
चिराग की रोशनी
पर मेरे ख्यालों की
रोशनी ज़हन में
ज़लाऊंगा ज़रूर
मेरे ख्याल ही कहते हैं
मुझसे
आज मेरी बात मानों
ना मानों
चाहे आज पढो ना पढो
पर बात कहूंगा ज़रूर
चाहे मेरे जाने के बाद
ही सही
एक दिन सोचने पर
मजबूर करूंगा ज़रूर
871-55-28-11-2012
विचार,ख्याल, सोच
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