अपनी हार का
ठीकरा
दूसरों पर फोड़ते
हो तुम
जीत का सेहरा
खुद के
सर पर बांधते
हो तुम
क्यों सच से
दूर भागते हो
तुम
खुद को धोखा
देते हो तुम
जीतना ही चाहते
हो तो
तो पहले
अपने झूठ को
जीत लो
सच कहना सीख
लो
नहीं तो ज़िन्दगी
भर
हार का ठीकरा
दूसरों के
सर पर फोड़ते
रहोगे तुम
ज़िन्दगी भर
हारते रहोगे
तुम
निराशा में
जीते रहोगे
तुम
रोते रोते संसार
से
चले जाओगे तुम
876-60-28-11-2012
हार,जीत,निराशा,जीवन
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