अँधेरे से आये
थे
अँधेरे में जाना है
कुछ पल मिले
हैं
उजाले के
उन्हें नहीं
खोना है
न रोना है
ना रुलाना है
जीवन को मुखर
बनाना है
इश्वर को याद
रखना है
रोते हुए आये
थे
हँसते हुए जाना
है
879-63-28-11-2012
जीवन ,मृत्यु
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