खुशी मनाने से
नहीं मनती
मन से मनती हैं
खुशी बाज़ार में
नहीं बिकती
धन से नहीं मिलती
ह्रदय में दुःख
मन में बेचैनी हो
अवसर कोई भी हो
खुशी नहीं मिलती
दिखाने को चाहे कह दो
दुनिया से झूठ बोल दो
लाख मन को समझा लो
मन की संतुष्टी के बिना
खुशी कभी नहीं मिलती
नहीं मनती
मन से मनती हैं
खुशी बाज़ार में
नहीं बिकती
धन से नहीं मिलती
ह्रदय में दुःख
मन में बेचैनी हो
अवसर कोई भी हो
खुशी नहीं मिलती
दिखाने को चाहे कह दो
दुनिया से झूठ बोल दो
लाख मन को समझा लो
मन की संतुष्टी के बिना
खुशी कभी नहीं मिलती
850-34-20-11-2012
खुशी ,संतुष्टी
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