Tuesday, November 6, 2012

कभी कभी इतना कमज़ोर कैसे हो जाता हूँ


कभी कभी इतना कमज़ोर कैसे हो जाता हूँ
कभी कभी
इतना कमज़ोर
कैसे हो जाता हूँ
सच को झूठ
झूठ को सच मान
बैठता हूँ
पथ से भटक जाता हूँ
दुखों से घबरा कर
ह्रदय में डर बिठा लेता हूँ
संतुलन खो बैठता हूँ
क्या स्वयं से
विश्वास खो बैठा हूँ
शांत मन से सोचता हूँ
आत्ममंथन करता हूँ
नतीजे पर पहुंचता हूँ
फिर से
पथ पर आने के लिए
धीरज रखना होगा
सहनशील बनना होगा
होंसला रखना होगा
हिम्मत से लड़ना होगा
फिर से मुस्काराना होगा
स्वयं पर
विश्वास रखना होगा
832-16-06-11-2012
जीवन,सहनशील,धीरज,संतुलन,विश्वास,आत्ममंथन,हिम्मत

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