कभी
कभी इतना कमज़ोर कैसे हो जाता हूँ
कभी कभी
इतना कमज़ोर
कैसे हो जाता हूँ
सच को झूठ
झूठ को सच मान
बैठता हूँ
पथ से भटक जाता हूँ
दुखों से घबरा कर
ह्रदय में डर बिठा लेता हूँ
संतुलन खो बैठता हूँ
क्या स्वयं से
विश्वास खो बैठा हूँ
शांत मन से सोचता हूँ
आत्ममंथन करता हूँ
नतीजे पर पहुंचता हूँ
फिर से
पथ पर आने के लिए
धीरज रखना होगा
सहनशील बनना होगा
होंसला रखना होगा
हिम्मत से लड़ना होगा
फिर से मुस्काराना होगा
स्वयं पर
विश्वास रखना होगा
832-16-06-11-2012
जीवन,सहनशील,धीरज,संतुलन,विश्वास,आत्ममंथन,हिम्मत
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