बढ़ गया दिल का रंज-ओ-गम
जीना हो गया मुश्किल आज
जिसने खोला था दरवाज़ा जहन का
उसी ने लगा दिया ताला आज
रूबरू कराया था रोशनी से जिसने
उसी ने दिखाया मुझे अन्धेरा आज
शिकवा शिकायत नहीं उससे फिर भी
कुछ पल तो निभाया था उसने साथ
कसूर उसका फिर भी नहीं मानता
मैंने ही किया होगा कुछ काम ऐसा
भुगत रहा हूँ खामियाजा आज
12-04-2012
437-17-04-12
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