Friday, April 13, 2012

हास्य कविता- कितना खुशगवार था वो लम्हा



कितना खुशगवार था
वो लम्हा
जब उसने मुस्करा कर
मेरी तरफ देखा 
करीब आकर मेरा पता पूछा
दिल खुश हुआ
जब रंग बिरंगे कागज़ में
लिपटा एक तोहफा
हाथ में थमाया
दिल टूट कर बिखर गया
जब उसने
चहकते हुए कहा
आपके
पड़ोस में रहने वाले
मेरे मंगेतर को
भिजवा देना
12-04-2012
436-16-04-12

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