ना हाँ कहते थे
ना ना कहते थे
निरंतर मिलते भी थे
मगर खामोश रहते थे
कब आयेगा
बेकरारी को करार
इंतज़ार में
दिल की धडकनें भी
थकने लगी
बरसों बाद एक दिन
जुबां खोली
मिलते तो रहते ही हैं
क्यूं ना ऐसे ही
गुजार लें ज़िन्दगी
17-04-2012
448-28-04-12
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