ये दिल तेरे लिए
धडकता क्यूं है ?
तेरे बिना तन्हाई का
आलम क्यूं है ?
दिन के उजाले में
अन्धेरा क्यूं है ?
मेरे सवाल का
जवाब दे दो
या फिर दिल की
महफ़िल सज़ा दो
ऐसे सताने का हक
तुम्हें नहीं है
चाहने वालों को
दुत्कारना ठीक
नहीं है
न चाहो तो
मुस्कारा कर ना
कह दो
पर इस तरह
तडपा कर ना
मारो
17-04-2012
451-31-04-12
No comments:
Post a Comment