उधार की सांसें
तुम्हारी
परेशानी
हमसे
देखी नहीं
जाती
साँसों की
घुटन
समझ नहीं आती
सदा हंसने
वाला
आज रो क्यों
रहा है
अब बहुत हो
चुका
ग़मों का दौर
आंसू पोंछो और
उठ जाओ
उधार की
साँसों पर
जीना छोड़ दो
सब्र और
हिम्मत से
काम लो
सिर्फ खुदा पर
यकीन
रखो
27-04-2012
476-57-04-12
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